तुगलकाबाद का युद्ध

तुगलकाबाद का युद्ध
तुगलकाबाद का युद्ध

कहा जाता है कि मुगल बादशाह अकबर कभी कोई युद्ध नहीं हारा । लेकिन इतिहास के पन्नों में एक हिंदू वीर शासक ऐसा भी है, जिसका नाम कहीं गुम है। लेकिन अकबर और उसकी विशाल सेना को धूल चटाने का गौरव उसे प्राप्त है। हम बात कर रहे हैं हेमचंद्र विक्रमादित्य की।, जिसे कई बार हेमू भी कहा जाता है। अकबर के साथ पानीपत की लड़ाई में बेशक उनकी हार हुई थी लेकिन उसके पहले तुगलकाबाद के युद्ध में, जिसे दिल्ली की लड़ाई भी कहते हैं, हेमू की सेना ने बादशाह अकबर की सेना को बुरी तरीके से हराया था और दिल्ली पर अधिकार किया था।

मुख्य बिन्दु-

       # युद्ध - बादशाह अकबर और हेमचन्द्र के बीच

       # वर्ष - 1556 ईस्वी

       # परिणाम - मुग़ल बादशाह अकबर की पराजय

मुगल सल्तनत में हुमायूं का वर्चस्व खत्म करने के बाद अफगान शासक शेरशाह सूरी अपने विजय पताके को बंगाल मालवा और राजस्थान तक फैला चुका था। हुमायूं फिर से सत्ता वापसी की तैयारी कर रहा था, लेकिन बार-बार असफल हो रहा था। उधर शेरशाह सूरी के संरक्षण में हेमचंद्र श्रेष्ठ और ताकतवर होता जा रहा था और लगातार अपनी सूझबूझ से धीरे-धीरे हेमचंद्र ने खुद का अपना एक साम्राज्य खड़ा कर लिया। शेरशाह सूरी की मृत्यु के बाद हुमायूं की कमजोर सल्तनत पर हेमू ने अवसर देखा और आक्रमण कर दिया । महज जरा से प्रयास से ही दिल्ली पर अधिकार किया इस जीत से खुश होकर हैं उसने खुद का नाम विक्रमादित्य रखा था। और तब से उसे हेमचंद्र विक्रमादित्य के नाम से जाना जाने लगा।

हुमायूं की मृत्यु के बाद अकबर ने सत्ता संभाली । मुगल बादशाह जब गद्दी पर बैठा तन उसकी उम्र महज 13 साल थी । नन्हें उम्र के नादान लड़के को गद्दी पर बैठाकर मुगलिया फौज ने सोचा कि वह बाबर की तरह स्म्राज्य विस्तार और हिन्दू शासकों का दमन जारी रखेगा । लेकिन यह सपना उनका अधूरा ही रह गया । उस वक्त उनका सेनापति तरदी बेग हुआ करता था। तरदी बेग ने  दिल्ली वापस पाने के लिए हेमचंद्र की सेना पर चढ़ाई करने का आदेश दे दिया । कहा जाता है कि इस युद्ध में दोनों सेनाओं के पास 50,000 को सवारों, 1000 हाथियों और सैकड़ो तोप मौजूद थे । सेनापति तरदी बेग के नेतृत्व में मुगल सेना हेमू की सेना से लड़ी और कुछ समय में भी आधी हो गई ।

हेमू के वीर सैनिकों ने जाबांजी का परिचय देते हुए मुगल की सेना को आगरा तक खदेड़ दिया। बादशाह अकबर की सेना उल्टे पाव भाग खड़ी हुई । अकबर की सेना वापस लौटकर दोबारा युद्ध करने की हिम्मत न जुटा सकी । हिंदू शासक का दिल्ली पर कब्जा बरकरार रहा। 1556 ईसवी में लड़ा गया दिल्ली का युद्ध यानी तुग़लकाबाद की लड़ाई को अकबर हार गया। उसे भारी क्षति का सामना करना पड़ा और हेमचंद्र विक्रमादित्य को हल्के में लेना से बहुत महंगा पड़ा। तत्पश्चात सेनापति बैरम खान के नेतृत्व में अकबर ने पुनः पानीपत की लड़ाई में हेमू को ललकारा और तब जाकर दुर्भाग्य से आँखों में तीर लगने की वजह से उसकी मौत हो गई और अकबर विजय हुआ ।

अतः हेमू यानि हेमचन्द्र विक्रमादित्य वो हिन्दू शासक था जिसने तुगलकाबाद की लड़ाई में अकबर को हराया ।

Published By
Prakash Chandra
16-02-2021

Frequently Asked Questions:-

1. तुगलकाबाद का युद्ध कब हुआ था ?

1556 ईस्वी


2. तुगलकाबाद का युद्ध किनके बीच हुआ था ?

बादशाह अकबर और राजा हेमचन्द्र के बीच


3. तुगलकाबाद के युद्ध का परिणाम ?

मुग़ल बादशाह अकबर की पराजय


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