जटाटवी गलज्जल प्रवाह पवितस्थले गलेवलंब लम्बितां भुजङ्गतुंग मालिकाम | डमड्डमड्डमड्डममणि नाद वाड्डमर्वयं चकार चंडतांडवं तनोतु नः शिवः शिवम् ||
नमामि शमीशान निर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपं | निजम निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजे अहम् || निराकारमोकार मूलं तुरीयं गिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशं | करालं महाकाल कालम कृपालं गुणागार संसार पारं नतोअहम ||
ॐ नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय, भस्मांगराय महेश्वराय | नित्याय-शुद्धाय दिगम्बराय, तस्मै न कराय नमः शिवाय || मन्दाकिनी सलिल चन्दनचर्चिताय, नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय | मंदरपुष्पबहुपुष्प सुपूजिताय, तस्मै म कराय नमः शिवाय ||
ॐ भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवः | भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः || स्थिरै रंगेशतुषटु वाङ्गस्तनूभिः | व्यशेम देवहितं यदायुः || 1 || ॐ स्वस्ति न इन्द्रयों वृद्धश्रवाः | स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः || स्वस्ति नः स्तार्क्ष्र्यो अरिष्ट नेमिः | स्वस्ति नो बृहस्तिरपधातु || 2 || ॐ शांतिः शांतिः शांतिः ||
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भव भय दारुणम् | नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कंजारुणं || कंदर्प अगणित अमित छवि नव नील नीरज सुन्दरम् | पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम् ||
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता | या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना || या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता | सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ||
श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधार। बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार। बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश बिकार।।
बाल समय रवि भक्षि लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों। ताहि सो त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो।। देवन आनि करी विनती तब, छाड़ि दियो रवि कष्ट निवारो। को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।।
नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो अम्बे दुःख हरनी।। निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूं लोक फैली उजियारी।।
अच्युतं केशवं रामनारायणं, कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरिम्। श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं, जानकीनायकं रामचन्द्रं भजे।। अच्युतं केशवं सत्यभामाधवं, माधवं श्रीधरमं राधिकाराधितम्। इन्दिरामन्दिरं चेतसा सुन्दरं, देवकीनन्दनं नन्दजं सन्दधे।।