क्या इस धरती पर मानव की सारी आकांक्षाएं और उनका विश्वास पूरा हो सकता है? जिस तरह से हम अपनी कल्पनाओं को जाग्रत करते हैं जैसे हम अपनी कल्पनाओं को दूसरे व्यक्तियों तक पहुंचाते है। जैसा हम सोचते हैं वैसा हम बन जाते हैं, क्या कल्पना सच में साकार हो सकती है। यह हमारी मानसिक सोच पर निर्भर करता है, कि हमार...
हम दशहरा क्यों मनाते हैं ? क्या इसके पीछे कोई एक विशिष्ट औचित्य है ? आखिर दशहरा के पीछे क्या कारण है ? क्या दशहरे मनाने का एक ही कारण है ? कि भगवान राम ने रावण का वध किया था। रावण भी एक बुद्धिमान व्यक्ति और ब्राह्मण भी था। फिर दशहरा मनाने का सिर्फ एक ही कारण क्यों ? आखिर देवी जी के 9 दिनों के बाद ही...
अनसुलझे रहस्य में एक कहानी ऐसी भी जहां भारत में एक देवी हुयी है, जिन्होंने अपने पति के लिए पतिव्रता धर्म का पालन किया। और आने वाली पीढ़ी के लिए एक मिसाल कायम की, यह कहानी है सावित्री और सत्यवान की। सावित्री और सत्यवान की कहानी मार्कंडेय ऋषि द्वारा सुनाई गई, जब महाभारत के समय में महाराज युधिष्ठिर ने...
आईये राम को जानते है, भगवान राम ही सत्य है। इस जगत में रामसेतु एक प्रमाण है, जो लोग भगवान राम के होने का प्रमाण मांगते हैं। भगवान राम का अस्तित्व क्या है? लोग पूछते हैं क्या सच में रामसेतु है। क्या सच में भगवान राम के समय में राम सेतु का निर्माण हुआ है, आइए जानते हैं इसी तरह के कुछ प्रश्नो के उत्तर।
अनसुलझे रहस्य में एक कहानी ऐसी भी आती है, जब हम सोचते हैं कि हम कलयुग में रह रहे हैं। क्या सच में हम कलयुग में है ? या फिर हमने अपने विचारो से उसको कलयुग बना दिया है। कलयुग का आरंभ कैसे हुआ उसके पूर्व कौन कौन युग थे। इस तरह के प्रश्न हमारे मन में आते है, आइए जानते हैं इस तरह के प्रश्न कि कलयुग का आ...
हिंदू शास्त्रों में दीपावली के त्यौहार के पश्चात तुलसी विवाह मनाया जाता है। इस वर्ष तुलसी विवाह 26 नवंबर 2020 को मनाया जाएगा, दीपावली का त्यौहार हिंदू धर्म में प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में प्रकाश और हर्ष उल्लास लेकर आता है। तुलसी विवाह के पर्व के पश्चात हिंदू धर्म में शादियों का मुहूर्त प्रारंभ हो ज...
क्या हमने सोच कर देखा है ? जैसा आज का भारत है, क्या वैसा ही भारत पहले भी था। आज भारत अलग-अलग भाषाओं और अलग-अलग जातियों में बटा हुआ है। क्या पुरातन भारत भी ऐसा था ? आज के भारत में हम अपनी पुरातन संस्कृति को भूल रहे हैं। हमारे पूर्वजों ने जो नियम बनाए वे नियम आज हमें जंजीरों की भांति दिखाई देते हैं।
हमारे पूर्वजों ने हमें एक ऐसी वैदिक परंपरा से बांध करके रखा हुआ है। जिसकी कल्पना अतुलनीय है, हमारे पूर्वजों ने भारत के वैदिक ऋषि मुनियों ने प्रातः काल में जागने के समय से लेकर के रात्रि के सोने के समय तक में प्रकृति का आदर करना सिखाया, और मानव शरीर में ही ईश्वर का स्मरण करना।