तुलसी विवाह

तुलसी विवाह
तुलसी विवाह

हिंदू शास्त्रों में दीपावली के त्यौहार के पश्चात तुलसी विवाह मनाया जाता है। इस वर्ष तुलसी विवाह 26 नवंबर 2020 को मनाया जाएगा, दीपावली का त्यौहार हिंदू धर्म में प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में प्रकाश और हर्ष उल्लास लेकर आता है। तुलसी विवाह के पर्व के पश्चात हिंदू धर्म में शादियों का मुहूर्त प्रारंभ हो जाता है। आईये जानते है तुलसी विवाह की कहानी।

हिंदू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी विवाह के दिन भगवान विष्णु जी और तुलसी का विवाह होता है। इस दिन को हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी के नाम से भी जानते हैं। देवउठनी एकादशी के दिन जब भगवान विष्णु 4 माह के निद्रा में रहते हैं, तब भगवान विष्णु को निद्रा से जागृत करते हैं।

हिंदू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी को वृंदा के नाम से जानते हैं। वृंदा एक राक्षस जालंधर की पत्नी थी, जालंधर के पास असीम शक्तियां थी और वृंदा भगवान विष्णु की परम भक्त थी। वृंदा की तपस्या के कारण ही जालंधर के पास अपार शक्तियां थी, जिससे उसका वध करना आसान नहीं था। शुरुआत में वह संतो को परेशान कर रहा था, फिर उसने देवताओं को भी परेशान करना प्रारंभ कर दिया। देवता जालंधर के डर से उसका सामना कर पाने में असमर्थ थे।

एक कहानी के अनुसार भगवान शिव ने इंद्र पर क्रोधित होने के कारण उस पर अपनी तीसरी आंख खोली थी। तब भगवान ब्रह्मा ने उसको क्षमा करने के लिए कहा। तब भगवान शिव ने अपनी तीसरी आंख को समुद्र के ऊपर छोड़ा, समुद्र और तीसरी आंख के क्रोध से जालंधर का जन्म हुआ और जालंधर भगवान शिव के पुत्र होने के कारण दैवीय शक्तियों का स्वामी था, जिससे उसका वध करना आसान नहीं था।

जब जालंधर ने देवताओं को परेशां करना प्रारंभ किया, तब देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना की। भगवान शिव ने जालंधर से युद्ध करना प्रारंभ किया, जालन्धर जब युद्ध के लिए अपने घर से निकला था, तब वृंदा ने संकल्प लिया था। कि जब तक वह इस तपस्या में लीन है, तब तक उनका वध नहीं हो सकता। इस बात को जानकर भगवान विष्णु वृंदा के सामने जालंधर के रूप में प्रकट हो गए, तब वृंदा को प्रतीत हुआ कि जालंधर युद्ध से वापस आ गए हैं और जैसे वृंदा का संकल्प टूटा, तब जालंधर की शक्तियां कमजोर होने लगी जालंधर का वध हो पाया।

जब जालंधर के वध की सुचना वृंदा के पास पहुंची, तो उन्होंने भगवान विष्णु से अपने रूप में प्रकट होने के लिए कहा। तब भगवान विष्णु ने अपना रूप वृंदा को दिखाया। उसी क्षण वृंदा ने भगवान विष्णु को पत्थर होने का श्राप दे दिया, वह पत्थर शालिग्राम के रूप में जड़ हो गए। और उन्होंने कहा कि जिस तरह मैं अपने पति से विलग हुई हूं, उसी तरह तुम भी अपनी पत्नी से विलग हो जाओगे। इस श्राप के परिणाम स्वरूप त्रेतायुग में भगवान विष्णु के अवतार भगवान राम अपनी पत्नी सीता से अलग हो गए थे।

इस श्राप के निवारण में भगवान विष्णु ने वृंदा को तुलसी के रूप में पृथ्वी में जन्म लेने के लिए कहा। और अगले जन्म में वृंदा से विवाह करने के लिए उन्होंने कहा। इस दिन को तुलसी विवाह के रूप में हिंदू धर्म में मानते हैं, आईये 26 नवंबर 2020 को भगवान विष्णु और वृंदा का विवाह मानते हैं। और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त कर हिन्दू धर्म के विवाह प्रारम्भ करते है।

Related Facts
Top Viewed Mantra