तमिलनाडु में 17 प्रमुख नदियाँ हैं और वेल्लार नदी उनमें से एक है। वेल्लार नदी घाटी पोन्नैयार घाटी और कावेरी घाटी के बीच स्थित है। वेल्लार नदी का ऐतिहासिक और व्यावसायिक महत्व है। यह नदी कोरोमंडल तट में व्यापार के लिए ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण थी। कई कारखाने और बंदरगाह यूरोपीय लोगों द्वारा वेल्लार नदी के किनारे स्थापित किए गए थे। पारंगीपेट्टाई जैसे स्थानों को कारखाना सेटअप के लिए उपयुक्त माना जाता था। इस नदी के किनारे, अंग्रेजों द्वारा विभिन्न बस्तियों की स्थापना की गई थी। पुर्तगाली, स्वीडिश और अंग्रेजी औपनिवेशिक शक्तियों ने वेल्लार नदी को बहुत महत्वपूर्ण माना था। इस नदी ने ऐतिहासिक समय से भारत की अर्थव्यवस्था को विकसित करने में योगदान दिया है। आइए हम, वेल्लार नदी के विषय में अधिक विस्तार से जानें।
वेल्लार नदी का भूविज्ञान-
वेल्लार नदी घाटी में, पतले स्तर में लिग्नाइट होती है, जो जमीन के नीचे 60 मीटर- 80 मीटर के बीच पाई जाती है। इस क्षेत्र में लाल मिट्टी, पतली लाल मिट्टी, फव्वारे वाली दोमट मिट्टी और काली मिट्टी पाई जाती है। जलोढ़ मिट्टी घाटियों की नदियों और तटीय क्षेत्रों के साथ पाई जाती है। वेल्लार नदी घाटी को दो प्रमुख भूवैज्ञानिक प्रभागों में वर्गीकृत किया जा सकता है, अर्थात्, आर्कियन चट्टानें और अवसादी चट्टानें।
वेल्लार नदी में पानी की शुरुआती स्रोत-
वेल्लार नदी की उत्पत्ति तीन निम्न नदियों से हुई है-
वेल्लार नदी का प्रवाह पथ-
तमिलनाडु के 8 जिले हैं, जहाँ से वेल्लार नदी बहती है। ये इस प्रकार हैं- धर्मपुरी, सलेम, नामक्कल, त्रिची, पेरम्बलुर, अरियालुर, विल्लुपुरम, और कुड्डलोर। यह नदी इन 8 जिलों के कुछ हिस्सों में 22 तालुकाओं और 40 ब्लॉकों से होकर बहती है।
वेल्लार नदी पूर्व दिशा में बहती है। यह नदी अंततः बंगाल की खाड़ी में विलीन हो जाती है। यह कुड्डालोर जिले के पोर्टो नोवा के पास बंगाल की खाड़ी में मिलती है। इसकी कुल लंबाई 210 किलोमीटर है। वेल्लार घाटी का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 7504 वर्ग किलोमीटर है।
वेल्लार नदी की घाटी में 7 उप घाटियाँ हैं, जो इस प्रकार हैं- ऊपरी वेल्लार, स्वेथनाधी, चिनार, अनावरी ओडई, गोमुखीनाढी, मणिमुखनाथडी और लोअर वेल्लार। सबसे बड़ी उप-घाटी ऊपरी वेल्लार है। इसका कुल क्षेत्रफल 1820.36 वर्ग किलोमीटर है। इन सभी में सबसे छोटा, अनावरी ओडाई है जिसका क्षेत्रफल 340.446 वर्ग किलोमीटर है।
वेल्लार नदी की सहायक नदियां-
वेल्लार नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ हैं- स्वेथनाधि नदी, चिनार नदी, अनावरी नदी, गोमुखी नदी, मणिमुख नदी और पेरियोडाई नदी। वेल्लार नदी, धर्मपुरी, सलेम, नमक्कल, त्रिची, पेरम्बलुर, अरियालुर, विल्लुपुरम, कुड्डलोर जिलों से होकर बहती है। वासिस्तानादि नदी और स्वेतनाधि नदी दोनों का उद्गम स्थल सलेम ज़िले में है और ये चिटरई पचमलाई, कोल्लीमलाई और कालरेयान पहाड़ी क्षेत्रों के मध्य से बहती है। वातिस्ता नदी, बाटू मलाई के पास उत्पन्न होती है। मणिमुख नदी को, वेल्लार नदी में विलीन होने वाली अंतिम सहायक नदी के रूप में जाना जाता है।
वेल्लार नदी पर जल परियोजनाएं-
इस नदी पर विभिन्न जल परियोजनाएँ निर्मित हैं। वेल्लार नदी घाटी में, नदी के प्रवाह को 10 स्थानों पर मापा और नियंत्रित किया जाता है। इन हाइड्रोलॉजिकल स्टेशनों का नाम इस प्रकार है- अनाईमादुवु जलाशय, करियाकोइल जलाशय, गोमुखी जलाशय, मणिमुखनाडी जलाशय, विलिंग्डन जलाशय, थोलुदुर नियामक, पांडुरई नियामक, मेमथुर नियामक, विरुधचलम नियामक और सेठियाथोप नियामक। केंद्रीय जल आयोग इनमें से कई हाइड्रोलॉजिकल साइटों को नियंत्रित करता है। केंद्रीय जल आयोग द्वारा नदी के प्रवाह को, कुदलाईयथुर स्थल पर मापा जाता है। वेल्लार घाटी में कुल 236 नियामक हैं और चार प्रमुख नियामक निचले वेलार उप-घाटी में स्थित हैं।
Published By
Anwesha Sarkar
17-03-2021