स्वाल्ली का युद्ध

स्वाल्ली का युद्ध
स्वाल्ली का युद्ध

गुलामी की दौड़ से भारत को निकलने में अभी वक्त बाकी था। मुगल साम्राज्य ने भारत का दोहन समाप्त किया भी नहीं था कि ब्रिटेन और पुर्तगाल के साथ-साथ डच और फ्रांस के व्यापारियों ने भी भारत को अपने व्यापार का अड्डा बनाना शुरू कर दिया था। अकबर के बाद बाहरी मुगलिया या अफगानी आक्रांताओं का दौर तो खत्म होने लगा, लेकिन अब विश्व में औद्योगिकीकरण की शुरुआत होने लगी थी और जहाजी बेड़े भारत के बंदरगाहों पर देखे जाने लगे थें।

व्यापारिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण था भारत

भारत व्यापारिक दृष्टिकोण से पूरे दुनिया का चहेता जगह था। अथाह धन संपदा के साथ आधुनिकीकरण से दूर एक देश जहाँ पश्चिमी देशों के लिए मौके ही मौके थे। खासकर भारत के मसाले पूरे विश्व में आयात और निर्यात किए जाते थे। इसी सिलसिले में दुनिया भर के नाविकों ने भारत की तरफ रुख किया और सबसे पहले वास्कोडिगामा पुर्तगाली बेड़ा लेकर भारत के बंदरगाह पर पहुंचा। 

भारत में अब जो लड़ाइयां होनी थी वो व्यापार और अपनी साम्राज्य की नींव रखने के लिए होनी थी। पुर्तगालियों का व्यापारिक वर्चस्व था। दिल्ली में मुग़ल बादशाह जहांगीर का शासन था और अंग्रेज भारत में प्रवेश करना चाह रहे थे। आज हम आपको 'कहानी भारत की' के इस अंक में एक ऐसी युद्ध के बारे में बताए जा रहे हैं, जिसने भारत के तट रक्षकों तटबंध हो और नौसेना के आधुनिकीकरण की नींव रखी। आज जो भारतीय नौसेना हम और आप देखते हैं, उसकी शुरुआत इसी युद्ध के पश्चात हुई थी। आज हम जिक्र करने वाले हैं 1612 ईस्वी में लड़े गए स्वाल्ली युद्ध का।

मुख्य बिंदु-

# युद्ध : ईस्ट इंडिया कंपनी बनाम पुर्तगाली सेना

# वर्ष : 1612 ईसवी

# परिणाम : ईस्ट इंडिया कंपनी विजयी, पुर्तगाल साम्राज्य के पतन की शुरुआत

नौसेना के आधुनिकीकरण का युद्ध

स्वाल्ली का युद्ध भारतीय नौसेना के आधुनिकीकरण का युद्ध कहा जाता है। भौगोलिक दृष्टिकोण की बात करें तो स्वाल्ली सूरत से महज 12 किलोमीटर के उत्तर दिशा में समुद्र के किनारे बसा हुआ एक शहर है। यह पुर्तगाल के व्यापार का शहर था, जबकि अंग्रेज इस पर अधिकार करना चाहते थे ताकि वह भी भारत में अपने व्यापार की शुरुआत कर सकें। पुर्तगाली खुद को समुद्र का स्वामी समझते थे। युद्ध की भूमिका कुछ यूं तैयार हुई कि जब पुर्तगालियों ने भारत की तरफ बढ़ने वाले कई अंग्रेज अधिकारियों को बंदी बना लिया। वह ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत में किसी भी कीमत पर व्यापार करने नहीं देना चाहते थे। अंग्रेजों को दिल्ली के सुल्तान बादशाह जहांगीर ने व्यापार करने की अनुमति दे दी थी, लेकिन छोटे स्तरों पर उन्हें स्थानीय व्यापारियों से जूझना पड़ता था। मुनाफे का बंटवारा कोई व्यापारी नहीं चाहता।

नाउम्मीद होकर पहुँचा था थॉमस बेस्ट,लेकिन....

पुर्तगालियों का एकाधिकार था और वो अंग्रेजों को मसाले के व्यापार में शामिल नहीं करना चाहते थे। ईस्ट इंडिया कंपनी के कई सारे अधिकारियों को समय समय पर गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें बंदी बना दिया गया। अंततः ब्रिटेन के प्रिंस से आखरी अनुमति लेकर 1612 में थॉमस बेस्ट नाम के अंग्रेजी अधिकारी भारत के सूरत तट पर पहुंचे। सूरत के तट पर रुक कर उन्होंने अपने प्रतिनिधि को वहां के स्थानीय शासक के पास भेजा ताकि वह क्षेत्र में व्यापार करने की अनुमति पा सकें। कुछ दिनों बाद उसे खबर मिली कि उसके वह दोनों प्रतिनिधि फिर से बंदी बना लिए गए हैं।

थॉमस बेस्ट ने मानो मन बना लिया था कि वह भारत छोड़ देगा। लेकिन संयोगवश उसकी नाव गलती से स्वाली के तट पर पहुंच गई। स्वाली उस वक्त मुगल शासक सरदार खान के कब्जे में हुआ करता था। उसने मुगल शासक सरदार खान स्थानीय शाषकों से ट्रीटी साइन करवाया, संधि की और स्थानीय क्षेत्र में व्यापार करना शुरू किया। यह बात पुर्तगालियों का बर्दाश्त नहीं हुई। 29 नवंबर 1612 इस्वीं को पुर्तगाली सेना और ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना के बीच स्वाल्ली का युद्ध हुआ, जिसने पुर्तगाल की नींव हिला कर रख दी। 

पुर्तगाल एकाधिकार का पतन प्रारंभ

भारत में ब्रिटिश हुकूमत के साम्राज्य विस्तार के लिए यह युद्ध मील का पत्थर साबित हुआ। अंग्रेजों ने स्वाल्ली युद्ध जीतने के बाद तटरक्षण की भूमिका को समझा।  ईस्ट इंडिया कंपनी ने स्थाई तौर पर समुद्र में अपनी सेना बहाल की। अपनी नौसेना को मजबूत किया और यह प्रयास धीरे-धीरे आज भारतीय नौसेना के नाम से जाना जाता है। स्वाल्ली के युद्ध के बाद अंग्रेजों ने अपना पांव पसारना शुरू किया। स्थानीय मुगल शासकों ने भी ईस्ट इंडिया कंपनी का साथ दिया, क्योंकि वह पुर्तगालियों के रवैये से नाखुश थे। व्यापार पर एकछत्र अधिकार ने पुर्तगालियों में अहंकार भर दिया था, जिसका पूरा फायदा ईस्ट इंडिया कंपनी उठाया और धीरे-धीरे पुर्तगाल को भारत के व्यापारिक क्षेत्र से उखाड़ कर फेंक दिया।

Published By
Prakash Chandra
01-03-2021

Frequently Asked Questions:-

1. स्वाल्ली का युद्ध कब हुआ था ?

सन 1612 ईसवी


2. स्वाल्ली का युद्ध किनके बीच हुआ था ?

ईस्ट इंडिया कंपनी और पुर्तगाली सेना


3. स्वाल्ली के युद्ध का परिणाम ?

ईस्ट इंडिया कंपनी विजयी, पुर्तगाल साम्राज्य के पतन की शुरुआत


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