पानीपत का युद्ध

पानीपत का युद्ध
पानीपत का युद्ध

भारत लगभग 1000 साल तक बाहरी आक्रांताओं और उनके महत्वकांक्षाओं का गुलाम रहा है। मोहम्मद गजनी के आक्रमण से लेकर अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई के आखिरी दिनों तक भारत कहीं ना कहीं किसी न किसी रूप में बाहरी आक्रमण कर्ताओं का गुलाम बन कर रहा, जिसका खामियाजा देश की जनता को हमेशा भुगतना पड़ा है। भारत की कहानी में आज हम जिस कहानी की बात करने वाले हैं, वह कहानी भारत में मुगल सल्तनत के नीव की कहानी है। भारत में मुगल अफगानिस्तान से आए थे। तिमुरीद राजवंश या यूं कहें कि तैमूर के वंशज ने भारत पर आक्रमण किया था। इस लड़ाई में सबसे पहले युद्ध का नाम आता है पानीपत का युद्ध।



मुख्य बिन्दु -

युद्ध - बाबर बनाम इब्राहिम लोदी

वर्ष - 1526

परिणाम - बाबर की जीत के साथ मुगल सल्तनत की नींव

पानीपत के जंगी मैदान में ले चलने से पहले आपको यह बता दें की मुगल बादशाह बाबर पश्चिम को जीतते हुए आ रहा था। उस दौर में भारत की संपन्नता की ख्याति पश्चिमी देशों में काफी जोर-शोर से फैली हुई थी। और हर विदेशी आक्रांता भारत की अमूल्य संपदा पर अपना अधिकार चाहता था। बाबर भी इस इरादे से भारत की तरफ बढ़ा और चेनाब नदी किनारे पंजाब और सिंध के तट पर पहुंचा। इरादा तो लूटपाट कथा लेकिन वैभव और समृद्धि को देखकर बाबर ने भारत पर शासन करने का मन बना लिया।

भारत में उन दिनों दिल्ली की सत्ता पर लोदी वंश का शासन था। इब्राहिम लोदी बादशाह थे, लेकिन एक बेहद कमजोर और असफल राजा कहलाए। बाबर को यह मौका बिल्कुल सही लगा दिल्ली पर आक्रमण करने का। उत्तर भारत में अपना साम्राज्य स्थापित करने के लिए उसने दिल्ली के समीप पानीपत के मैदान में डेरा डाला और युद्ध की तैयारियां शुरू कर दी ।हालांकि कहा जाता है कि इब्राहीम लोदी ने अपने दूत को भी भेजा था जिसे बाबर ने युद्ध नीति का उलंघन करते हुए बंदी बना लिया था, जो काफी समय बाद छोड़ा गया।

अप्रैल 1526  ईस्वी में पानीपत के मैदान में बाबर की सेना और अब्राहम लोदी की सेना आमने सामने थी। किसी को नहीं मालूम था कि शक्तिशाली लोदी वंश के एक लाख सैनिक बाबर के महज 20,000 की सैनिकों के सामने धूल चाटते नजर आएंगे। भीषण मारकाट के बाद करारी हार हुई। दिन ढलने तक बाबर युद्ध जीत चुका था।  इब्राहिम लोदी और उसके 20,000 सैनिक युद्ध भूमि में मारे जा चुके थे।

ये बड़ा आश्चर्यजनक लगता है, जब आपको सुनने को मिले कि एक तरफ लोदी साम्राज्य की डेढ़ लाख की सेना और दूसरी तरफ बाबर की महज 15 से 20000 की सेना और वह जीत जाती हैं। तो कहीं ना कहीं सोचने पर मजबूर होना पड़ता है कि आखिर कैसे? तो आपको हम इसका कारण बताते हैं। बाबर के पास तकरीबन 20,000 सैनिक के अलावा 25 तोपें भी थी । बाबर की सेना आग्नेयअस्त्रों से परिपूर्ण थी । हालांकि ईब्राहिम लोदी की सेना में भी एक हजार हाथियों का समूह था। लेकिन वह हाथी इब्राहिम लोदी की सेना को ही को चलने लगे। कारण था बाबर की तोपें ।

भारत के इतिहास में पहली बार किसी लड़ाई में आग्नेयअस्त्रों का प्रयोग हो रहा था। आग्नेयास्त्र कहने का मतलब अग्नि से परिपूर्ण यंत्र, जो फेंक कर दूर से दुश्मनों को मार गिराते हैं। आज की भाषा में कहें तो पहली बार तोप, गोले बारूद का इस्तेमाल बाबर ने अपनी सेना में किया था। इब्राहिम लोदी की सेना में मौजूद 1000 हाथियों का समूह जब मैदान में उतरा और उसने अपने सामने आने वाले हर सेना का सर को चलना शुरू किया, तब लगा कि बाबर अब शायद युद्ध हार जाए। लेकिन जब तोपों ने धमाकों के साथ आग उगलना शुरू किया, तो इब्राहिम लोदी की सेना तोपों की भयानक आवाज से भ्रमित होने लगी और उनके हाथी घबराने लगे। नतीजा यह हुआ कि तोपों की आवाज से उनके हाथी के नियंत्रण से बाहर हो गए और उनके ही सैनिकों को कुचलने लगे। बाबर की सेना ने दूर खड़े रहकर हैं लोदी की सेना में अफरा-तफरी और आतंक मचा दिया।

काबुल के तिमुरीद शासक बाबर ने पानीपत प्रथम का युद्ध जीतकर उत्तर भारत में मुगल सेना की नींव रखी। दिल्ली का सुल्तान इब्राहिम लोदी की विशाल सेना हार गई। इस जीत ने भारत में मुगलिया सल्तनत का नया अध्याय शुरू किया । उसके बाद बाबर हुमायूं अकबर और इस तरह से पूरा एक मुगल साम्राज्य बना। उसने भारत ही नहीं बल्कि बाहरी सीमा पर भी मुगलिया सल्तनत के परचम लहराए। और इसके बाद लगभग 300 सालों से मुगलों का राज रहा । उस मुगल सल्तनत की नींव पानीपत के युद्ध में ही रखी गई थी जिसकी कहानी आज आप पढ़ रहे थे।

Published By
Prakash Chandra
09-02-2021

Frequently Asked Questions:-

1. पानीपत के प्रथम युद्ध का परिणाम ?

बाबर की जीत के साथ मुगल सल्तनत की नींव


2. पानीपत का प्रथम युद्ध किनके बीच हुआ था ?

बाबर और इब्राहिम लोदी


3. पानीपत का प्रथम युद्ध कब हुआ था ?

सन 1526 ईस्वी


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