कलिंग का युद्ध

कलिंग का युद्ध
कलिंग का युद्ध

भारत की कहानी के इतिहास में कई बड़ी लड़ाइयाँ भीषण नरसंहार की साक्षी रही हैं । ईसा पूर्व की कहानियों में मगध साम्राज्य अपने साम्राज्य विस्तार के लिए रक्तपात करने को जाना जाता रहा है । लेकिन एक वक़्त आया जिसने इस खून की प्यासी महत्वकांक्षा को शिथिल कर दिया । आज उसी समय की बात करेंगे । कहानी भारत की में बात करेंगे कलिंग युद्ध की । वही कलिंग जिसने मौर्य साम्राज्य के प्रतापी राजा सम्राट अशोक का हृदय परिवर्तन किया । जिसने युद्ध नीति बदल दी। जिसने रक्त और श्राप से ऊपर धम्म को स्थापित कर दिया ।

मुख्य बिंदु
युद्ध नेतृत्व: राजा अनंत पद्मनाभन और सम्राट अशोक
स्थान: धौली गिरी, भुबनेश्वर
समय : 261 ई॰पू॰
राज्य: मगध और कलिंग
मगध के राजा: सम्राट अशोक
कलिंग के राजा: राजा अनंत पद्मनाभन
विजय: सम्राट अशोक

भारत के पूर्वी तट पर बसा था कलिंग, यानि आज का उड़ीसा । सम्पूर्ण भारत पर एकछत्र राज कर रहे मौर्य मगध साम्राज्य के लिए कलिंग जीत पाना अब तक मुमकिन नहीं हो सका था । कारण था, कलिंग का वीर कौशल और उसकी विशाल सेना । नदियों और समुद्र से घिरे होने के कारण कुछ एक ही युद्ध नीतियाँ था जो अमल में लाई जा सकती थी, और वैसी परिस्थितियों के लिए कलिंग पूर्व से ही तैयार रहा करता था । यही कारण था कि मौर्य साम्राज्य के प्रतापी राजा भारत विजय के उपरांत भी कलिंग पर अपना विजय पताका नही लहरा सकें थें । वक़्त बदला, और 269 ई॰पू॰ में सम्राट अशोक गद्दी पर बैठे । कलिंग उनके आँखों में भी आर्थिक और राजनैतिक काटें की तरह चुभ रहा था।



कलिंग भारत के पूर्वी समुद्र तट पर बसा एक ऐसा साम्राज्य था जो मगध को कई तरह से नुकसान पहुंचाता था अप्रत्यक्ष रूप से । सामरिक दृष्टि से हिन्द महासागर पर कलिंग का कब्जा था, इससे मगध का व्यापार बाधित होता था । गंगा के आंतरिक क्षेत्रों के साथ दक्कन का भी संबंध कलिंग के माध्यम से ही मगध से जुड़ता था, तो मगध का दक्कन मार्ग भी कलिंग के वर्चस्व से प्रभावित होता रहता था । इसके अलावा इतना बड़ा मौर्य मगध साम्राज्य एक छोटे से कलिंग को पराजित न कर सका, ये भी वीर मगध के आत्मस्वाभिमान को कचोटने वाले बात थी । इन्ही सब कारणों से सत्ता संभालने के 7 साल बाद 8वें वर्ष में अशोक ने कलिंग पर आक्रमण कर दिया । 



261 ई॰पू॰ में दया नदी के तट पर इतिहास का सबसे भीषण रक्तपात वाला युद्ध लड़ा गया। सम्राट अशोक के क्रूरतम व्यवहार से दुनिया अवगत हुई। इंसान खेत में लगी फसल की तरह काटे और रौंदे जाने लगे । इस लड़ाई में कलिंग के लगभग 150000 सैनिक मौत के घाट उतार दिये गए । मगध के भी 1लाख योद्धा मारे गए और ना जाने कितनों के अंग भंग कर दिये गए । लड़ाई जारी थी, विजयश्री अब भी दूर दूर तक नजर नही आ रही थी । नरसंहार अब अशोक को भी द्रवित करने लगा था । लेकिन विजय की महत्वकांक्षा थी जो रुकने का नाम नही ले रही थी। 



युद्ध के आखिरी दिनों में कलिंग की राजपुत्री पद्मा और सम्राट अशोक के बीच एक यादगार संवाद भी है जो कई इतिहासकार कहानियों में कह गए हैं । जानकार लिखते है कि एक दिन एक सैनिक ने आकर अशोक से कहा," महाराज, खुशखबरी है, कलिंग के राजा युद्ध मे मारे गए है ।" अशोक यह समाचार सुनकर प्रफुल्लित हो उठा और विजयश्री का ध्वज लहराने चला, लेकिन तभी सैनिक ने यह भी जोड़ दिया कि कलिंग के दरवाजे अब भी बंद है । जीत के गुमान में अशोक खुद कलिंग द्वार को तोड़ने चल पड़ता है । द्वार पर उसका सामना कलिंग की वीर क्षत्राणियों से होता है जिसकी नायिका होती है कलिंग राजकुमारी पद्मा । अशोक स्त्रियों पर शस्त्र उठाने से इंकार कर देता है । राजकुमारी पद्मा उसको, उसकी रक्त पिपासु सेना को, उसके शौर्य, उसके पौरूष को ललकारती है । युद्ध में हुए भीषण नरसंहार का विवरण अपने निर्भीक और प्रभावी शब्दों में रखती है । अशोक के महत्वाकांक्षा को इसका जिम्मेदार बताते हुए उसे शास्त्र छोड़ पुनः शस्त्र उठाने की चुनौती देती है, लेकिन अशोक तब तक खुद की नजरों में गुनहगार बन चुका होता है । वो शस्त्र त्याग देता है और भविष्य में कभी दुबारा युद्ध की मार्ग पर ना चलने का वचन लेता है । 



कलिंग युद्ध भारत के उन युद्धों में से है, जिसने साम्राज्य विस्तार के तरीके बदल दिये है । अशोक ने उसके बाद बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया और साम्राज्य विस्तार के लिय धम्म विस्तार की नीति अपनाई । निगोथ नामक बौद्ध भिक्षु के द्वारा अशोक को बौद्ध धर्म की दीक्षा दी गयी, जबकि उपगुप्त नामक बौद्ध भिक्षु ने उन्हें बौद्ध धर्म में शामिल करवाया । उसके बाद अशोक ने कभी शस्त्र विजय नीति को नहीं अपनाया और देश कि यात्रा पर निकल गए । अपने पुत्रों को भी उन्होने धम्म विस्तार नीति के तहत विदेशों में भेजा और साम्राज्य और धर्म का विस्तार किया । आगे चल कर कई अन्य राजाओं ने अशोक के धम्म नीति का पालन किया है, भले ही धर्म या विचार अलग रहे हो। 



इस तरह से भारत की कहानियों में अपनी पराक्रमी और उज्ज्वल गाथा को समेटे कलिंग का युद्ध मगध मौर्य सम्राट अशोक को अशोक महान बनाने के लिए भी जाना जाता है। कलिंग युद्ध के बाद भी मगध साम्राज्य सुदूर देशों तक फैला, लेकिन अब ना खून ना नदियां बहीं, ना ऐसा भीषण रक्तपात हुआ ।

Published By
Prakash Chandra
17-01-2021

Frequently Asked Questions:-

1. कलिंग का युद्ध कब हुआ था ?

261 ई॰पू॰


2. कलिंग का युद्ध कहाँ हुआ था ?

धौली गिरी, भुबनेश्वर


3. कलिंग का युद्ध किनके बीच हुआ था ?

राजा अनंत पद्मनाभन और सम्राट अशोक


4. कलिंग के युद्ध का परिणाम ?

सम्राट अशोक की विजय


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