छप्पर चिरी का युद्ध

छप्पर चिरी का युद्ध
छप्पर चिरी का युद्ध

18 वीं सदी की शुरुआत सिखों के लिए एक बेहद डरावने शुरुआत के तौर पर देखी जाती है। भारत में मुगलों की तलवारों को काट कर रख देने वाली सिख कौम ने इस्लामिक आक्रांताओं का विरोध तो जमकर किया, लेकिन बदले में उन पर अत्याचार भी बेहिसाब हुए। 1715-16 के आसपास तो ऐसा कहा जाता है की मुगल शासकों ने सेना को पूरा आदेश दे दिया था कि सिख जहां भी दिखे काट डालो। युद्ध की कई सारी लड़ाई लड़ी गई। एक आखिरी लड़ाई के अलावा बाकी सभी लड़कियों में सिखों ने मुगलों को करारी शिकस्त दी। पिछले अंक में आपने पढ़ा सिख और मुगलों के बीच होने वाले आनंदपुर साहिब के युद्ध के बारे में, जहां गुरु गोविंद सिंह ने एक तीर से पाईंदे खान को रणभूमि में मौत के घाट उतार दिया। कहानी भारत की के संग में आज हम उसके अगले युद्ध छप्पर चिरी के युद्ध के बारे में बात करेंगे और आपको बताएंगे उसकी वजह के बारे में और इस युद्ध के बाद मिले परिणामों के बारे में।

शुरुआत गुरु अर्जन देव के हत्या के साथ ही हो गई थी। जहांगीर ने सिक्खों के गुरु अर्जन देव को मरवाया। रही सही बाकी कसर क्रूर आक्रांता मुगल बादशाह औरंगजेब ने पूरी कर दी। औरंगजेब गुरु तेग बहादुर को मरवा डाला। उसके बाद आत्मरक्षा के लिए सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह ने अपनी सेना बना ली और उसका नाम रखा खालसा पंथ। आनंदपुर साहिब के युद्ध में मुगलों को करारी हार देने के बाद गुरु गोविंद सिंह अपने परिवार के साथ आनंदपुर के किले में रहने लगे। मुगलों ने पलटकर वार किया, लेकिन इस बार पहले धोखेबाजी की। मुगलों ने शांति के संरक्षक सिखों और उनके गुरु गोविंद सिंह के साथ सद्भाव का नाटक किया और युद्ध विराम करने के फैसले के साथ साथ गुरु गोविंद सिंह को आनंदपुर के किले से कहीं और जाने का आग्रह किया। गुरु गोविंद सिंह मान गए और युद्ध की संभावनाओं को टालने के लिए उन्होंने सद्भाव पर अपने कदम बढ़ा दिया।



गुरु गोविन्द सिंह के परिवार को धोखे से मारा

रास्ते में उनके साथ धोखा हुआ और उनके पूरे परिवार पर चमकौर नामक जगह पर मुगलों ने धोखे से हमला कर दिया। कहा जाता है कि महज 40 सैनिकों के आगे लाखों की फौज आ खड़ी हुई लेकिन फिर भी सिखों ने मरते दम तक कई हजार मुगलों की गर्दनें उड़ा दी। इस युद्ध में गुरु गोविंद सिंह अपने चार बेटे खो दिए। उनके दो बेटे युद्ध क्षेत्र में मारे गए, जबकि दो को औरंगजेब ने जिंदा दीवारों में चुनवा दिया। इस युद्ध में गुरु गोविंद सिंह भी जख्मी हुए और उनका घाव समय के साथ बढ़ता चला गया।



औरंगजेब के बाद वजीर खान का उत्पात

1707 में औरंगजेब की मृत्यु हो गई, लेकिन मरते मरते हैं उसने अपने सेनापति वजीर खान को सिखों के नरसंहार का आदेश दे दिया। 1708 ई में गुरु गोविंद सिंह की भी घाव की वजह से मृत्यु हो गई। गुरु गोविंद सिंह ने अपने जाने से पहले सिख साम्राज्य उनकी सुरक्षा के लिए प्रभारी के तौर पर वीर योद्धा बंद सिंह बहादुर को खड़ा कर दिया। बंद सिंह बहादुर के बारे में कहा जाता है उसका असली नाम लक्ष्मण देव था। संतों का जीवन बिताने का प्रण लेने वाले बंद सिंह बहादुर ने तंत्र-मंत्र विद्या में निपुणता हासिल कर रखी थी। लोग कहते थे कि  उसे काला जादू भी आता है, लेकिन गुरु गोविंद सिंह जानते थे कि यह जादू नहीं है, बल्कि उसकी बुद्धि और विलक्षण प्रतिभा का कमाल है कि वह चीजों को आसानी से अपने पक्ष में मोड़ सकता है।



बंद सिंह बहादुर ने जीती 10 लड़ाइयाँ

गुरु गोविंद सिंह की आज्ञा पाने के बाद बंद सिंह बहादुर ने सेना इकट्ठा शुरू कर दिया उसे मालूम था कि मुगल कभी भी विकसित सिख साम्राज्य पर हमला कर सकते थे। मुगलों के पास उस समय मजबूत सेना थी। सेना के पास हाथी घोड़े और तोपों के अलावा बंदूकें भी थी। सिखों के पास गुरुओं का मार्गदर्शन था और सिर्फ तलवारे थी। लेकिन फिर भी बंदा सिंह बहादुर के नेतृत्व में सिखों ने तकरीबन 10 लड़ाइयां जीती वह भी लगातार।



आनंदपुर से निकली सेना सरहिंद के किले की तरफ बढ़ रही थी। सरहिंद से 34 किलोमीटर पहले छप्पर चिरी नामक स्थान पर सिखों का सामना मुगलों से हो गया। मुगलों का नेतृत्व वजीर खान कर रहा था। सिखों की तरफ से तलवार लिए बंदा सिंह बहादुर खड़े थे। मुगलों की लाखों की सेना के सामने शिक्षा मुट्ठी भर सैनिक देखने में छोटे लग रहे थे। आत्मविश्वास से लबरेज वजीर खान ने सेना को आदेश दिया और कहा "काफिरों को मारो" । घमासान युद्ध हुआ और जब बंदा सिंह बहादुर का सामना वजीर खान से हुआ तो बंदा सिंह बहादुर ने एक वार में ही वजीरखां के सिर से लेकर पेट तक फाड़ दिये। बचे हुए मुगलों को सिखों ने रौंद दिया।



सिख राज्य की हो गयी स्थापना

मुगल छप्पर चिरी के युद्ध में एक बार फिर बुरी तरीके से पराजित हुए। छप्पर चिरी का युद्ध भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की पहली लड़ाई भी कहा जाती है। इसके बाद कुछ वर्षो के लिए पंजाब के क्षेत्र में सिख साम्राज्य की स्थापना हो गई। जिसको हाल के कुछ वर्षों में किसी भी मुगल शासक ने हाथ लगाने की जुर्रत नहीं की।

Published By
Prakash Chandra
27-03-2021

Related Stories
Top Viewed Forts Stories