सुवर्णरेखा नदी

सुवर्णरेखा नदी
सुवर्णरेखा नदी

सुवर्णरेखा नदी को स्वर्णरेखा नदी के नाम से भी जाता है। यह नदी, झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा से होकर बहती है। सुवर्णरेखा नदी के नाम का अनूठा रहस्य हैं। कई कथायो के अनुसार, रांची के पास पिस्का नामक गाँव हुआ करता था। माना जाता है कि सुवर्णरेखा नदी का उद्गम इसी जगह से हुआ और यहां, सोने का खनन किया जाता था। यही कारण है कि इस नदी का नाम सुवर्णरेखा रखा गया। सुवर्णरेखा नाम, दो शब्दों का संयोजन है जिसका अर्थ है, सोना और रेखा / लकीर। इस शब्द का अर्थ है "सोने की लकीर"। माना जाता है कि इस नदी के तल में सोने के निशान पाए गए थे। अब भी, लोग इस नदी के रेतीले तल में सोने के कणों के निशान खोजते हैं। सुवर्णरेखा नदी के आसपास के क्षेत्र पर्यटन के दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण है। इस नदी के ऊपर निर्मित सुदृष्य बांध पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। हुंडरू जलप्रपात, इन सारे स्थलों में सबसे अधिक प्रसिद्ध है। आगे आने वाले भागों में, हम सुवर्णरेखा नदी के विषय में विस्तृत अध्ययन करेंगे।



सुवर्णरेखा नदी का प्रवाह पथ - 

सुवर्णरेखा नदी, रांची (झारखंड की राजधानी) के पास, पिस्का नामक एक स्थान से उत्पन्न होती हैं। सुवर्णरेखा घाटी, भारत में अधिकांश बहु-राज्य नदी घाटियों से छोटा है। इस नदी की कुल लंबाई, केवल 395 किलोमीटर (245 मील) है। यह नदी वर्षा पर आधारित है। सुवर्णरेखा नदी 18,951 वर्ग किलोमीटर (7,317 वर्ग मील) के जल निकासी क्षेत्र में बहती है। झारखंड राज्य में रांची, सेराइकेला, खरसावां और पूर्वी भागम जिलों से, सुवर्णरेखा नदी बहती है। झारखंड के घाटशिला में भी सुवर्णरेखा नदी अपनी सुदृष्य प्रवाह से बहती है। यह जगह पर्यटन के लिए प्रसिद्ध है। इसके बाद, यह नदी, पश्चिम बंगाल में पशिम मेदिनीपुर जिले में प्रवेश करती है। बंगाल में सुवर्णरेखा नदी, 83 किलोमीटर (52 मील) तक बहती हैं। आगे के पथ पर यह नदी, ओडिशा के बालासोर जिले से बहती है। इस राज्य में सुवर्णरेखा नदी का छोटा सा भाग पाया जाता है। यह 79 किलोमीटर (49 मील) तक बहती हैं। अंततः, सुवर्णरेखा नदी, तलसारी के पास बंगाल की खाड़ी में विलीन हो जाती है। 

सुवर्णरेखा नदी की सहायक नदियां-

खरकई नदी, सुवर्णरेखा नदी की सबसे महत्वपूर्ण सहायक नदी है। खरकई नदी, जमशेदपुर के पास, सोनारी (डोमुहानी) में सुवर्णरेखा नदी में विलीन होती है। सुवर्णरेखा की प्रमुख सहायक नदियाँ निम्नलखित है- खरकई नदी, रोरो नदी, कांची नदी, हरमू नदी, डामरा नदी, कररू नदी, चिंगुरू नदी, करकरी नदी, गुरमा नदी, गर्रा नदी, सिंगदुबा नदी, कोडिया नदी, दुलारा नदी और खजोरी नदी हैं। 

हुंडरू जलप्रपात-

हुंडरू जलप्रपात, सुवर्णरेखा नदी के प्रवाह से निर्मित हुआ है। यह जलप्रपात, 98 मीटर (322 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है। इतनी ऊंचाई से गिरने वाले जलप्रपात का शानदार नज़ारा, मनमोहक प्रतीत होता है। यह स्थल पर्यटन के दृष्टिकोण से भी महत्व रखता है। गिरते पानी से हुए कटाव के कारण, अलग-अलग चट्टान संरचनाएं भी स्थापित हो गया है। इन चट्टानों ने, इस जगह की सुंदरता को ज़्यादा बढ़ा दिया है।

गेट्सलूड जलाशय-

गेट्सलूड जलाशय, रांची के 40 किलोमीटर (25 मील) पूर्व में स्थित है। इसका उद्गम स्थल से लगभग 50 किलोमीटर (31 मील) दूर सुवर्णरेखा में स्थित है। इस बहुउद्देश्यीय जलाशय की परिकल्पना, 1971 में पूरा हुआ था। यह मुख्य रूप से रांची शहर और आसपास के औद्योगिक क्षेत्रों में, नगरपालिका के पानी की माँग को पूरा करने के लिए निर्मित की गई थी। इस बांध की ऊंचाई 35.5 मीटर (116 फीट) है। 

सुवर्णरेखा नदी में प्रदूषण-

सुवर्णरेखा नदी, बहुत सारे खनन क्षेत्रों से बहती है। तांबे और यूरेनियम अयस्कों के व्यापक खनन वाले क्षेत्र, सुवर्णरेखा नदी के प्रवाह पथ पर बने हुए है। अनियोजित खनन गतिविधियों के परिणामस्वरूप, यह नदी प्रदूषित है। सुवर्णरेखा नदी, छोटानागपुर क्षेत्र में रहने वाले आदिवासी समुदायों के जीवन का साधन है। जल प्रदूषण से उनकी आजीविका प्रभावित होती है।

सुवर्णरेखा नदी में बाढ़-

सुवर्णरेखा नदी के निचले इलाके, खासकर ओडिशा और पश्चिम बंगाल के तटीय क्षेत्र, में बाढ़ की समस्या अत्यधिक है। इनमें से कई इलाके, बाढ़ के खतरे के दायरे में हैं। 2007 में, ओडिशा में सुवर्णरेखा नदी के कारण, उच्चतम बाढ़ स्तर की समस्या उत्पन्न हुई थी। बाढ़ के कारण, पानी का स्तर, 12.2 मीटर (40 फीट) को पार कर गया था। सुवर्णरेखा नदी के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों पर,2009 में, भारी वर्षा का अनुभव किया गया था। अतिरिक्त फ्लैश बाढ़ देखी गई थी। बाढ़ के दौरान, ओडिशा का बालासोर ज़िला सबसे प्रभावित हुआ। यहां, जलेश्वर, भोगराई, बस्ता और बालीपाल ब्लॉक के क्षेत्रों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा था। और ब्लॉक की एक छोटी सी जेब प्रभावित हुई थी। पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर ज़िले के कुछ इलाके भी बाढ़ से काफी प्रभावित होते रहते हैं।

सुवर्णरेखा नदी में जल परियोजनाएं-




  • सुवर्णरेखा नदी में बहुत सारे बहुउद्देशीय परियोजनाओं के निर्माण हुए है। कुछ जल परियोजनाओं को पहले से ही विनियमित किया गया था और कुछ बांधों के निर्माण की परिकल्पना की गई है। सिंचाई एवं जल विद्युत उत्पादन 1982-83 में शुरू किया गया था। जल आपूर्ति के लिए बहुउद्देशीय परियोजना की परिकल्पना भी बनाई गई थी। 

  • जल परियोजना एवं पनबिजली उद्योगों के निर्माण हेतु, सरकार ने भूमि अधिग्रहण भी किया था। भूमि अधिग्रहण के पश्चात, सरकार ने 12,000 परिवारों के लिए मुआवजे के पैकेज को बढ़ाया और 2,200 लोगों को विभिन्न सरकारी विभागों में नौकरी भी मिली है। 

  • सुवर्णरेखा बैराज परियोजना का निर्माण, 1995–96 में शुरू किया गया था। यह परियोजना, पश्चिम बंगाल में भोसराघाट के पास स्थित है। यहां, वाम बैंक नहर के माध्यम से पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर जिले में प्रतिवर्ष 114,198 हेक्टेयर की सिंचाई और जल वितरण की जाती है। यहां, 96,860 हेक्टेयर का एक खेती योग्य क्षेत्र है। 

  • चांडिल बांध, इचा बांध और गलुडीह बैराज के निर्माण से बहुत सारे जल संबंधित परेशानियों को सुलझाया जा सका है। यह बांध झारखंड के सुंदर पर्यटन स्थानों में से है। चांडिल बांध के पास स्थित संग्रहालय भी स्थापित किया गया है। इस संग्रहालय में, चट्टानों पर लिखी गई लिपियाँ, 2,000 वर्ष पुरानी हैं।

  • चांडिल बांध और जलाशय को 17,028 हेक्टेयर भूमि के ऊपर निर्माण किया गया है। इचा बांध को झारखंड में 8,585 हेक्टेयर (21,210 एकड़) भूमि पर और उड़ीसा में 4,415 हेक्टेयर (10,910 एकड़) भूमि पर बनाया गया है। गलुडीहा बैराज को 180 हेक्टेयर (440 एकड़) भूमि पर (जिसमें से 150 हेक्टेयर निजी भूमि और 30 हेक्टेयर राजस्व भूमि) निर्माण किया गया है।



गंजिया बैराज के लिए 266 हेक्टेयर (660 एकड़) भूमि का अधिग्रहण किया गया है। नहर नेटवर्क के निर्माण के लिए अतिरिक्त भूमि की आवश्यकता रहती है। इसके अलावा, झारखंड के, सिकिदिरी में 65 मेगावाट के दो बिजली घर हैं। सिकिदिरी हाइड्रो पावर प्लांट झारखंड की एकमात्र पनबिजली परियोजनाएं हैं।

Published By
Anwesha Sarkar
22-03-2021

Frequently Asked Questions:-

1. सुवर्णरेखा नदी की सबसे महत्वपूर्ण सहायक नदी कौन सी है?

खरकई नदी


2. सुवर्णरेखा नदी का उद्गम स्थल कहाँ है ?

रांची (झारखंड की राजधानी) के पास, पिस्का नामक एक स्थान


3. सुवर्णरेखा नदी की कुल लम्बाई कितनी है ?

395 किलोमीटर (245 मील)


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