पल्लीकल नदी

पल्लीकल नदी
पल्लीकल नदी

पल्लीकल नदी केरल की एक नदी है, जिसकी प्राकृतिक सुंदरता मन को शांति प्रदान करती है। शाम के समय पल्लीकल नदी का नज़ारा बेहद ख़ूबसूरत होता है। पल्लीकल नदी अपने जलग्रहण क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए जीवन रेखा के रूप में कार्य करती है। इस नदी का पानी मुख्य रूप से घरेलू, कृषि और मछली पकड़ने के उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है। कई लोग सिंचाई और मछली पकड़ने के लिए इस नदी पर निर्भर हैं। करूर कदवु पुल पल्लीकल नदी पर ही बना है। सिर्फ यही नहीं, पल्लीकल नदी धार्मिक सद्भाव भी कायम रखती है। लेकिन वर्तमान में यह नदी अत्यधिक प्रदूषित हो चुकी है, जिसका विस्तार से वर्णन इस लेख में किया गया है। इसके साथ ही पल्लीकल नदी के जल निकासी, धार्मिक महत्व और जलग्रहण क्षेत्र को भी निम्नलिखित खंडों में विस्तृत किया गया है।



पल्लीकल नदी का प्रवाह पथ-

पल्लीकल नदी का उद्गम पश्चिमी घाट की निचली तलहटी में होता है, जो केरल के पठानमथिट्टा जिले में कोडुमोन के पास स्थित है। यह नदी समुद्र तल से 60 मीटर से भी कम ऊंचाई से बहना शुरू करती है। पल्लीकल नदी का प्रारंभिक प्रवाह अदूर नमक स्थान के उत्तर-पूर्व से है और इसके बाद यह नदी पश्चिम दिशा में बहने लगती है। पल्लीकल नदी कई शहरों से होकर बहती है जैसे- अदूर, वडक्कथुकावु, पेरिंगनाड, नूरानाड, पल्लीकल, सोरानाड, पवुम्पा, पावुम्पा-चुरुली, थोडियुर, वडक्कुमथला, कुट्टीवट्टम, मैनागपल्ली, करुणागपल्ली, अयनवेलिकुलंगारा और कंडाथिल। इस नदी की कुल लंबाई 42 किलोमीटर है और इसका जल निकासी क्षेत्र 220 वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ है। पल्लीकल नदी अंत में करुणागपल्ली के पास वट्टकायल झील बनाती है। पल्लीकल नदी और पावम्पा धारा के प्रवाह से, एक साथ वट्टाकायल झील  बनता हैं। यह झील पावम्पा, पावम्पा-चुरुली, पावम्पा-मनपल्ली और थोडियुर क्षेत्रों से घिरा हुआ है। कायमकुलम झील के दक्षिण-पश्चिमी छोर पर वट्टाकायल झील स्थित है। करुणागपल्ली नगर पालिका में सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है, पावम्पा-चुरुली। यह वट्टक्कयल और पल्लीकल नदी के बीच स्थित है। पल्लीकल नदी करुणागपल्ली के पास पोनमनई शहर तक पहुँचती है और अष्टमुडी झील के माध्यम से अरब सागर में मिल जाती है।

पल्लीकल नदी के तट पर मैनागपल्ली क्षेत्र-

मैनागपल्ली एक खूबसूरत क्षेत्र है जो कोल्लम जिले के कुन्नाथूर तालुक में स्थित है। यह एक अत्यंत मनमोहक प्राकृतिक दृश्य को दर्शाता है जो पर्यटकों को आकर्षित करता है। कोल्लम जिले में तीन महत्वपूर्ण नदियाँ हैं, अर्थात्- कल्लदा नदी (जो 151 किलोमीटर तक बहती है), इथिक्कारा नदी (जो 56 किलोमीटर तक बहती है) और पल्लीकल नदी (जो 42 किलोमीटर तक बहती है)। पल्लीकल नदी के तट पर स्थित, मैनागपल्ली क्षेत्र, अपने पश्चिमी हिस्से में धान के खेतों से भरा हुआ है। पल्लीकल नदी मैनागपल्ली और थोडियूर पंचायत के बीच एक सीमा के रूप में कार्य करती है। उत्तर मैनागपल्ली सड़क प्रणाली द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। कल्लदा सिंचाई परियोजना नहर की एक शाखा उत्तरी मैनागपल्ली से होकर गुजरती है। यह सिंचाई परियोजना सोमाविलसम एवं अनुरकावु से गुजरती है और अंततः पल्लीकल नदी में विलीन होते हुए समाप्त होती है।

पल्लीकल नदी का धार्मिक महत्व-

पल्लीकल नदी घाटी धार्मिक और सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए भी प्रसिद्ध है। प्रसिद्ध अपुप्पंकवु मंदिर पल्लीकल नदी के किनारे स्थित है। यहां कायल विलाक्कू उत्सव भव्य तरीके से मनाया जाता है। इस उत्सव के दौरान, विशेषकर रात के समय इस नदी में, दीयों से युक्त कलाएँ बहुत सुन्दर होते हैं। करूर कदवु मस्जिद भी पल्लीकल नदी पर करूर कदवु पुल के पास ही स्थित है। इस इलाके में बच्चों को धार्मिक शिक्षा प्रदान भी करता है।

पल्लीकल नदी का क्षरण-

केरल शास्त्र साहित्य परिषद, थोडियूर ग्राम पंचायत और मत्स्य विभाग के द्वारा, करुणागपल्ली नगरपालिका के सहयोग से, पल्लीकल नदी पर एक अध्ययन किया गया है। इस अध्ययन से पता चलता है कि पल्लीकल नदी धीरे-धीरे विलुप्त होने की सीमा पर बढ़ रही है। ऊपरयुक्त अध्ययन यह भी दिखलाता है कि पल्लीकल नदी जल प्रवाह में भारी कमी से जूझ रहा है।

विभिन्न जांचों और अध्यानो के मध्यम से इस नदी के निचले हिस्से में हाइड्रोफाइट्स की मोटी वृद्धि का पता चलता है। पल्लीकल नदी के निचले हिस्से के पांच किलोमीटर और वट्टाकायल झील के 2 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में हाइड्रोफाइट्स की व्यापक वृद्धि हुई है, जो पल्लीकल नदी के लिए बेहद हानिकारक है। ये हाइड्रोफाइट्स न केवल नदी के निचले हिस्से में बल्कि वट्टाकायल झील में भी कई किलोमीटर तक पानी की गुणवत्ता को खराब करती हैं। 

पल्लीकल नदी के क्षरण को निम्नलिखित कारकों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है-




  • व्यापक और अनधिकृत रेत खनन पल्लीकल नदी और उसके पारिस्थितिकी तंत्र को खराब कर रहे है।

  • हजारों प्लास्टिक बैगों से नदी के किनारे का एक लंबा हिस्सा अत्यधिक प्रदूषित है।

  • पल्लीकल नदी के जलग्रहण क्षेत्र में धान के खेत हैं। धान के खेतों (इस नदी के दोनों ओर) में बड़े पैमाने पर मिट्टी और रेत-खनन ने नदी के किनारे की वनस्पति को नष्ट कर दिया है।

  • घरेलू, कृषि और औद्योगिक कचरे से व्यापक प्रदूषण होता है।

Published By
Anwesha Sarkar
28-06-2021

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