पब्बर नदी

पब्बर नदी
पब्बर नदी

पब्बर नदी घाटी हिमाचल प्रदेश की कुछ अन्य घाटियों की तरह प्रसिद्ध नहीं है। हालाँकि, हिमाचल प्रदेश के पब्बर क्षेत्र में कुछ आश्चर्यजनक दृश्य देखने को मिलता है। शिमला के बहुत करीब स्थित, पब्बर नदी घाटी हिमाचल प्रदेश का छिपा हुआ, अनछुया अजूबा है। देवदार और ओक के पेड़‌ तथा सेब के बाग, हिमाचल प्रदेश में खूबसूरत पब्बर नदी घाटी की परिभाषित विशेषताएं हैं।‌‌ ‌ यह नदी बर्फीली पहाड़ियों तथा पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित घाटियों में से होकर बहती है। भारत में उत्तराखंड एक अत्यंत के पावन स्थल है जिसकी सीमाओं तक पब्बर नदी बहती है। कई सहायक नदियों के साथ प्रमुख पब्बर नदी बहुत साफ और शांत बहती है क्योंकि यह जगह आज भी भीड़ से परे है। पब्बर नदी के साथ कई सारी धार्मिक एवं ऐतिहासिक कथाएं जुड़ी है जिनका आने वाले खंडों में उल्लेख किया गया है। हाल ही में पब्बर नदी घाटी के अंतर्गत कई नई परियोजनाओं का आरंभ किया गया है। निम्नलिखित खंडों में पब्बर नदी का प्रवाह पथ, इस नदी पर निर्मित परियोजनाएं तथा पर्यटन गतिविधियों के विषय में विस्तार से बताया गया है। आइए हम इस नदी के शांत प्राकृतिक और मनमोहक दृश्य के विवरण में मुग्ध हो जाएं।



पब्बर नदी का प्रवाह पथ-

पब्बर नदी धौलाधार पर्वत श्रेणी के दक्षिणी ढलानों से स्थित है। मुख्य रूप से, इस नदी का उद्गम स्रोत चंद्र नाहन ग्लेशियर से है। पब्बर नदी घाटी रोहड़ू ( हिमाचल प्रदेश की एक नगर पालिका) और ठियोग ( हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में स्थित एक छोटा शहर) से होते हुए हिंदुस्तान तिब्बत रोड तक फैली हुई है, जो शिमला शहर से लगभग 131 किलोमीटर दूर है। पब्बर नदी राजमार्ग 22 ( जो पहले हिंदुस्तान-तिब्बत रोड के नाम से जाना जाता था) से ठियोग तक फैला हुआ है और पब्बर नदी इससे आहे बहती रहती है। ठियोग और रोहड़ू, इस नदी घाटी के मुख्य शहर है। पब्बर नदी, हिमाचल प्रदेश के प्रमुख टोंस नदी की सहायक नदियों में से एक है। यह नदी बर्फ से ढके पहाड़ों से बहती है और अंततः टोंस नदी में विलीन हो जाती है, जो आगे जाकर यमुना नदी की सहायक नदी बन जाती है। पब्बर नदी तथा टोंस नदी का संगम हिमाचल प्रदेश की सीमा के पास चकराता मासिफ (जो हिमाचल प्रदेश में एक छोटा शहर है) में से है।

पब्बर नदी घाटी में नई परियोजनाएं-

पब्बर नदी अभी केंद्र और राज्य सरकार के प्रचेष्टायों के अधीन है जिस हेतु बहुत से परियोजनाएं शुरू किए गए है। ऐसे परियोजनाओं में से एक है, जिसके लिए 662 करोड़ रुपये की एक चैनलाइज़ेशन संरचना शुरू किया गया है। इस परियोजना के अंतर्गत पब्बर नदी को टिककरी से हाटकोटी तक जोड़ा जाएगा। तत्पश्चात 177.68 हेक्टेयर भूमि को पब्बर नदी के जल ग्रहण क्षेत्र में, पुनः प्राप्त किया जाएगा, जिससे, इस घाटी के 2,000 परिवार लाभान्वित होंगे।

पब्बर नदी घाटी में पर्यटन-

पब्बर नदी घाटी हिमाचल प्रदेश में शिमला से कुछ सौ किलोमीटर आगे है। देवदार और ओक के गहरे जंगलों के साथ भारत के सबसे समृद्ध सेब बाग के बीच यह अत्यंत सुंदर घाटी स्थित हैं। पब्बर नदी घाटी अभी भी शांत तथा काम प्रदुषित प्राकृतिक पहाड़ों में स्थित है। लुभावनी सुंदर चंशाल पर्वत श्रृंखला के नीचे प्रकृति की गोद में स्थित, यह घाटी पर्यटन प्रिय यात्रियों और प्रकृति रोमांच के प्रेमियों के लिए एक आश्रय स्थल है। 4220 मीटर/13926 फीट की ऊंचाई पर चांसल दर्रा मई से अक्टूबर तक खुला रहता है। 

यह क्षेत्र में ट्राउट मछली पकड़ने, दर्शनीय स्थलों की यात्रा और ट्रेकिंग के लिए भी एक आकर्षिक स्थान है। जुब्बल एक महल के लिए प्रसिद्ध है जो यूरोपीय और स्थानीय तत्वों का एक दिलचस्प मिश्रण है और हाटकोटी के शास्त्रीय मंदिर एक अन्य प्रमुख आकर्षण हैं।‌ यह किन्नौर की पौराणिक भूमि की दक्षिणी सीमाओं से उत्तराखंड की पवित्र भूमि की सीमाओं तक फैली हुई है। पब्बर नदी घाटी की एक अन्य प्रमुख आकर्षण है, जुब्बल जो एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है तथा हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में स्थित है। जुब्बल में हाटकोटी नामक एक स्थान है जहां हटेश्वरी की प्राचीन मंदिर की संरचना हुई है। इस के साथ-साथ यूरोपीय और स्थानीय तत्वों का एक शानदार संयोजन जुब्बल में, स्पष्ट है। हालांकि अत्याधिक पर्यटकों का भीड़ इस घाटी में नहीं है पर जो भी ऐसी प्राकृतिक सुंदरता को एक बार निहारता है उसके लिए पूर्ण जीवन सफल सा प्रतीत होता है।

Published By
Anwesha Sarkar
12-07-2021

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