कहानी आगरा की

कहानी आगरा की
कहानी आगरा की

आगरा की एक ऐसी बेमिसाल कहानी जो हिंदुस्तान के प्रत्येक भारतीय को इतिहास के रोमांच से भर देती है वही एक प्रेम कहानी जिसके प्रेम की मिसाल दुनिया देती है एक ऐसे ही युद्ध की जिसने भारत के इतिहास में एक स्वर्णिम इतिहास रच दिया जहाँ एक और ताजमहल प्रेम की विश्व धरोहर है वही दूसरी और आगरा का किला जो एक अविस्मरणीय इतिहास का हिस्सा है एक ऐसे ही अनसुने इतिहास को जानते है कहानी भारत की में आगरा की कहानी से-

आज के आगरा को महाभारत के काल में अग्रवन के नाम से जानते थे। कहते हैं उस समय आगरा एक जंगल था, आगरा शहर की नींव राजा बादल सिंह ने सन 1475 में रखी थी। इस शहर को वास्तविकता तब से मिलना शुरू होती है, जब सन 1504 में मुस्लिम शाशक एवं लोदी वंश के संस्थापक इब्राहिम लोदी ने अपनी राजधानी दिल्ली से आगरा करने का फैसला कर लिया। इब्राहिम लोदी का अपनी राजधानी दिल्ली से आगरा करने का एक ही उद्देश्य था, व्यापार और कृषि को महत्व देना। इब्राहिम लोदी का शाशन काल सन 1517 तक था। सन 1517 में इब्राहिम लोदी की मृत्यु के पश्चात्, उनके पुत्र सिकंदर लोदी ने राजसिंहासन को संभाल लिया |

लोदी वंश का अंत 1526 में सिकंदर लोदी की, हिंदुस्तान के पहले मुग़ल शाशक बाबर के द्वारा पानीपत के मैदान में पराजय के साथ होता है। इस तरह 1526 में लोदी वंश के अंत के साथ, भारत के इतिहास में मुग़ल शाशन की शुरुआत होती है, और आगरा पर कब्ज़ा बाबर के द्वारा किया जाता है। सन 1530 में बाबर की अकस्मात् स्वास्थ्य ख़राब होने के कारण मृत्यु हो जाती है। कहते हैं जिस वर्ष हुमायूँ का स्वास्थ्य ख़राब हुआ था तो, बाबर ने सात बार परिक्रमा की थी, उसके बाद ईश्वर से अपने प्राण हुमायूँ को देने का वचन माँगा और उसी वर्ष बाबर की मृत्यु हो जाती हैं |

बाबर की मृत्यु होने के पश्चात उसके पुत्र हुमायूँ का आगरा की राजगद्दी पर आरूढ़ हुआ और हुमांयूँ ने 1530 से 1539 तक शाशन किया। हुमायूँ का शाशनकाल आगरा में उस समय समाप्त हो जाता है, जब 26 जून 1539 को हुमायूँ का सामना शेरशाह सूरी से चौसा के मैदान में होता है। जो चौसा आज के बिहार के बक्सर से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर है और वहाँ हुमांयूँ को हार का सामना करना पड़ता है और सरहिंद पर शेरशाह सूरी का शाशन स्थापित हो जाता है |

22 मई 1545 को शेरशाह सूरी को चंदेल के राजाओं ने कालिंजर किले (जो आज भी बुंदेलखंड की शान है) में घेर लिया था और उक्का नामक तोप के गोले से शेरशाह सूरी की मृत्यु हो जाती है | शेरशाह सूरी के शाशनकाल में भारत ने एक नयी प्रोन्नति देखी थी, जिसमें शेरशाह ने ग्राण्ड ट्रंक रोड का निर्माण कराया, पहली बार भारत के इतिहास में शेरशाह ने रूपया चलाया और सरकार का गठन किया |

शेरशाह सूरी की मृत्यु के पश्चात उनके पुत्र इस्लाम शाह ने भारत पर शाशन किया और 1554 में इस्लाम शाह की मृत्यु के पश्चात भारत में सूरी वंश समाप्त होता है। सूरी वंश की समाप्ति के पश्चात मुगलों को भारत में अपना स्थापत्य का सपना साकार करना सरल लगा, और हुमायूँ जो की उस समय काबुल में राज स्थापित कर चुका था, वो अब भारत में अपना राज का स्वप्न लिए कई सहस्त्र सेना के साथ दिल्ली की ओर बैरम खान के नेतृत्व में आगे बढ़ा और तत्कालीन शाशक सिकंदर शाह सूरी को दिल्ली में चुनौती दी जिसमे सिकंदर शाह सूरी को हार का सामना करना पड़ा, और भारत में मुग़ल साम्राज्य का आरम्भ हुआ |

24 जनवरी 1556 को हुमायूँ की मृत्यु हो जाती है। हुमांयूँ के पार्थिव शरीर को पुराने किले न ले जाया जा सका क्योंकि उस समय हेमू का दिल्ली पर शाशन था, और उसके पार्थिव शरीर को कलानौर जो की पंजाब में स्थित है वहाँ ले जाया गया, उस समय तक बैरम खान के संरक्षण में अकबर( हुमायूँ का पुत्र) को कलानौर का सम्राट घोषित कर दिया गया |

अकबर के द्वारा 5 नवंबर 1556 को दिल्ली पर आक्रमण किया जाता है, परंतु उस समय दिल्ली पर हेमू का शाशन था। हेमू की सेना ने अकबर की सेना को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया परंतु अकस्मात् हेमू की आंख में तीर लगने के कारण वे घायल हो जाते हैं, जिससे सेना को लगने लगता है कि हेमू कि मृत्यु हो गयी है और सेना बिखर जाती है। जिसके पश्चात बैरम खान हेमू का सर धड़ से अलग कर देते और अकबर के द्वारा दिल्ली पर कब्ज़ा कर लिया जाता है |

दिल्ली पर कब्ज़ा करने के पश्चात अकबर ने आगरा की ओर रुख किया, आगरा के स्वर्णिम दिनों की शुरुआत अकबर के शाशन के दौरान शुरू होती है। जिसे बाद में अकबराबाद के नाम से जानते हैं। बाबर ने मुग़ल सल्तनत के दौर में यमुना नदी के किनारे आराम बाग का निर्माण कराया था, बाद में अकबर ने आराम बाग में आगरा के लाल किले की नींव रखी |

मुग़ल सल्तनत की सेना के लिए अकबर ने एक नए शहर फतेहपुर सीकरी की स्थापना की। अकबर के समय में कला, साहित्य और अध्ययन की शुरुआत हुयी। यहीं से अकबर के पुत्र जहाँगीर ने, कला के शौक़ीन होने के साथ लाल किले के अंदर कई बागों का निर्माण कराया, जो बहुत ही मनोहारी और आकर्षक हैं। जहाँगीर के पुत्र शाहजहाँ ने अकबराबाद को एक बेहतरीन और नायाब सितारा दिया जिसे आज हम लोग ताजमहल के नाम में जानते हैं। शाहजहां ने ताजमहल को मुमताज की याद में बनवाया था, जो की सन 1653 में बन कर तैयार हुआ था |

शाहजहां ने मुग़ल राजधानी को अकबराबाद से दिल्ली किया और बाद में शाहजहाँ के पुत्र औरंगजेब ने दिल्ली से अकबराबाद किया। जहाँ औरंगजेब ने अपने पिता को आगरा के किले में नजरबन्द कर दिया। सत्रहवीं और अठारवीं शताब्दी में जाटों के आक्रमण के पश्चात मुग़ल साम्राज्य कुछ कमजोर पड़ गया। अठारवीं सदी तक मराठओं के नेतृत्व में अकबराबाद उनके कब्जे में आया और यहाँ से अकबराबाद का नाम आगरा हुआ, बाद में मराठाओं से अधिकार लेकर, 1803 में अंग्रेजों ने अपना शाशन किया |

यही कुछ भारत के इतिहास में, आगरा के कुछ दिलचस्प अनसुने किस्सों की कहानी है। जो किसी काल में अग्रवन के नाम से जाना जाता था, फिर इसका नाम अकबराबाद और उसके बाद भारत की कहानी में इसे अपना नाम आगरा मिला, विश्व धरोहर में आगरा के किले और ताजमहल ने एक अमिट छाप छोड़ी है। जहाँ एक ओर प्रेम की कहानी है तो वही दूसरी और युद्धों का दौर भी है |

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