रीजनल कम्प्रेहैन्सिव इकनोमिक पार्टनरशिप (18 November 2020)

रीजनल कम्प्रेहैन्सिव इकनोमिक पार्टनरशिप (18 November 2020)
रीजनल कम्प्रेहैन्सिव इकनोमिक पार्टनरशिप (18 November 2020)

क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP) में चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, और 15 अन्य देशों की मान्यता पर हस्ताक्षर किया गया। इसका एक व्यापक व्यापारिक ब्लॉक के रूप में अस्तित्व है। 2013 में आए हुए इसे व्यापारीक समझौते को काफी बड़ी रुप में मान्यता मिली है। यहां हस्ताक्षर किए हुए देशों के बीच में मुक्त व्यापार समझौता किया गया था।

RCEP का गठन इस उद्देश्य से किया गया था कि जो देश इस साझेदारी के सदस्य है, उन देशों के उत्पादों और सेवाओं को आसान किया जा सके। 2013 से जब इस व्यवसायिक साझेदारी की बात चल रही थी, उसी समय से भारत ने इस साझेदारी में काफी बड़ी और महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। परंतु नवंबर 2019 में भारत ने यह फैसला लिया कि वह इस हस्ताक्षरकर्ता से बाहर आना चाहता है। भारत ने इस फैसले का यह कारण दर्शाया की RCEP में अपर्याप्त सुरक्षा उपाय है और कम सीमा शुल्क, जिसकी वजह से भारत के कृषि और डेयरी क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

RCEP से भारत की वापसी के कारण-
  • भारत के साथ दक्षिण कोरिया, जापान और अन्य एशियन देशों का मुक्त व्यापार समझौता बढ़ा था। पर इसके बावजूद भी भारत का व्यापार प्रतिकूल संतुलन से जूझ रहा था, क्योंकि भारत से निर्यात की तुलना में आयात तेजी से बढ़ गया था। यहां तक कि नीति आयोग द्वारा प्रकाशित एक पत्र में यह भी दर्शाया गया कि RCEP के अंतर्गत देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार में भारत का घाटा ही हुआ है।

  • RCEP त्यागने कि फैसले में चीन का भी एक कोण मौजूद है। भारत में मुक्त व्यापार हेतु RCEP के अंतर्गत सारे देशों के साथ हस्ताक्षर किए थे, पर यह हस्ताक्षर चीन के साथ ना हो पाया। कई आर्थिक पत्रों के द्वारा यह भी सामने आया है कि चीन के साथ भारत का व्यापारिक घाटा रहा। यहां व्यापारिक घाटे का सर्वोत्तम कारण यह माना गया कि चीन में बनाई हुई सस्ती उत्पादों ने भारतीय बाजारों पर कब्जा कर लिया।

  • एक कारण यह भी सामने आया है कि, ऑटो ट्रिगर तंत्र ने भारत को ऐसे उत्पादों पर शुल्क बढ़ाने की अनुमति दी होगी जहां आयत की सीमा, निर्धारित सीमा से ज्यादा थी। भारत के अर्थनीतिक उसूलों के अनुसार ऐसी परिस्थितियां देश के घरेलू उद्योगों को असुरक्षित करती है। घरेलू उद्योगों के संरक्षण हेतु भारत की RCEP से वापसी जरूरी थी।

RCEP से वापसी में भारत की निहितार्थ-
  • माना जाता है कि भारत के ऐसे फैसले के कारण RCEP के सदस्य देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार संबंधों में हानी आ सकती है। इसी कारण भारत के लिए, बड़े बाजारों से आर्थिक लाभ उठाने की गुंजाइश कम पड़ सकती है।

  • जापान और अन्य कई देशों ने भारत को RCEP में वापस लाने का प्रयास किया हुआ है। इसीलिए यह बात चिंताजनक है कि, हमारे देश का यह निर्णय, भारत- प्रशांत में, ऑस्ट्रेलिया, भारत तथा जापान के नेटवर्क को नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकता है।

  • RCEP के 15 देशों में से 11 के साथ भारत के व्यापारिक घाटे रहे हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना यह भी है कि ऐसी परिस्थिति में, निर्यात बढ़ाने हेतु, भारत ही असमर्थ रहा है।


  • भारत के द्वारा समीक्षा करने के कारण-
    • पूरे विश्व में कोरोनावायरस के प्रकोप से व्यवसायिक तथा आर्थिक ठहराव आ गई है। RCEP कि समझौते में वापस जाने से भारत की अर्थनीति फिर से सक्रिय हो सकती है। ऐसे समय पर वैश्विक अर्थव्यवस्था की मुक्त गिरावट रोकी जा सकती है।

    • RCEP भारत की आर्थिक सुधार और रोजगार सृजन में भी मदद कर पाएगा। क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखला की मजबूती करवाने हेतु, यह एक अनूठा अवसर साबित हो सकता है।

    • भारत केवल चीन का दृष्टिकोण देख रहा है। भारत को यह भी स्वीकारना चाहिए कि,‌ वैश्विक अर्थव्यवस्था और विश्व की आबादी के 30% का प्रतिनिधित्व करता हुआ‌ RCEP, हमारे देश के अर्थव्यवस्था के लिए लाभ जनक ही होगा।

    • RCEP के बाहर रहने से भारत की अधिनियम पूर्व नीति भी प्रभावित हो सकती है।


    आने वाले दिनों में भारत कि इस निर्णय के विकल्प-
    • किसी भी नये देश को RCEP में शामिल होने के लिए 18 महीने का इंतजार करना होता है। परंतु, RCEP के साथ संयुक्त होने के लिए भारत को 18 महीने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। यह सुविधा भारत को RCEP के हस्ताक्षरकर्ता राज्यों ने प्रदान किया है।

    • हमारे देश के पास यह विकल्प भी उपलब्ध है कि, भारत अन्य देशों के साथ मुक्त व्यवसाय और निर्यात में बृहत्री करें।

    • RCEP में शामिल होने का एक और सुविधा भारत को प्राप्त हो सकती है। इस आर्थिक समझौते के माध्यम से भारत, अमेरिका और यूरोप की द्विपक्षीय व्यवसायिक साझेदारियों का हिस्सा बन सकता है।


    वर्तमान समय और निकट भविष्य को ध्यान में रखते हुए, भारत को अपने फैसले की समीक्षा करनी चाहिए। इस महामारी के समय में, RCEP हमारे देश की आर्थिक अवस्था के लिए आशीर्वाद रूपी सिद्ध हो सकता है।

    Published By
    Anwesha Sarkar



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