रामसर सम्मेलन (16 November 2020)

रामसर सम्मेलन (16 November 2020)
रामसर सम्मेलन (16 November 2020)

रामसर सम्मेलन एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जिसे पर 1971 में ईरान के रामसर में हस्ताक्षर किया गया। रामसर सम्मेलन एक ऐसी संधि है जो विशेष रूप से आद्र भूमि या वेटलैंड पर केंद्र बिंदु रखकर किया गया है। वेटलैंड के संरक्षण एवं स्थायी उपयोग हेतु, यह अंतरराष्ट्रीय संधि मौलिक पारिस्थितिक कार्य एवं उनके आर्थिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और मनोरंजक मूल्यों को मान्यता देता है। रामसर सम्मेलन या रामसर कन्वेंशन के अंतर्गत 170 राष्ट्र ने दस्तखत किए हैं।

6 अगस्त 2018 तक 2323 से भी अधिक वेटलैंड क्षेत्रों को रामसर सूची के अंतर्गत अंकित किया गया है। रामसर सूची का उद्देश्य है कि- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मातृभूमि का संरक्षण किया जा सके। इसके माध्यम से जैविक विविधता का भी संरक्षण संभव होगा। प्रकृति में वन्य जीवन एवं वनस्पतियों का
संतुलन, मानव जीवन के स्थायित्व के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

भारत में अब तक 37 वेटलैंड क्षेत्र थे। जो कि रामसर सूची के अंतर्गत माने जाते थे। पर अब इस सूची में दो और क्षेत्रों के नामांकित हुए हैं। यह दो नई रामसार क्षेत्र के नाम है- लोनार लेक महाराष्ट्र और कीठम लेक उत्तर प्रदेश।

कीठम झील उत्तर प्रदेश-

कीठम झील को सूर सरोवर के नाम से भी जाना जाता है। कवि सूरदास के नाम पर इस झील का नामकरण किया गया है। कीठम झील को आगरा से दिल्ली राजमार्ग 2 पर स्थित पाया जाता है। कीठम झील का आकार पंचकोण है एवं इसे लगभग 7.13 वर्ग किमी अंश जलग्रहण क्षेत्र में बनाया गया है। इस
आद्र भूमि क्षेत्र को उत्तर प्रदेश के वन विभाग ने, 27 मार्च 1991 से विकसित करना शुरू किया। उसी समय इस पूरे क्षेत्र को राष्ट्रीय पक्षी अभ्यारण के रूप में स्वीकारा गया। झील का पानी आगरा नहर की प्राप्ति है, जोकि दिल्ली में यमुना नदी पर ओखला बैराज से पाई जाती है।

लोगों को कीठम झील एवं उसके अंतर्गत स्थलों में विभिन्न पक्षियां, अनेक प्रकार की मछलियां एवं तरह-तरह के वन जीव आकर्षित करते हैं। कीठम झील के नजदीक, सूर सरोवर पक्षी अभयारण्य 100 से भी अधिक प्रवासी पक्षियों को रहने का स्थल प्रदान करता है। इसके अलावा स्तनधारियों की 12 प्रजातियां
और सरीसृपों की 18 प्रजातियां भी इसी इलाके में पाई जाती है।

कीठम झील को डांसिंग बियर के पुनर्वास हेतु बनाया गया था। इस झील को 2020 में संरक्षित रामसर स्थल के रूप में माना गया है। इस झील में, सूर सरोवर पक्षी अभयारण्य के अंदर भालू के संरक्षण की सुविधा है। यही स्थल डांसिंग भालू की पुनर्वास हेतु समर्पित है।

1999 के दौरान यह सुविधा उपलब्ध कराई गई जो कि 8 हेक्टर की धरा पर विस्तृत है। आज यह स्थल 170 से भी अधिक भालू एवं अन्य वन जीवन को आवास प्रदान करता है। यहां पर आगरा बियर रेस्क्यू फैसिलिटी का अति उन्नत संसाधन उपलब्ध है। इसके अलावा वन जीवन की चिकित्सा और देखभाल के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं।

इस क्षेत्र में पक्षियों का प्राकृतिक आवस पाया जाता है। अचंभा की बात यह है कि यह स्थल प्रवासी पक्षियों के 106 से भी अधिक प्रजातियो को आवास प्रदान करता है। ग्रीष्म काल में संपूर्ण क्षेत्र जलकुंभी के माइक्रोफोट वनस्पति के विकास से भरा होता है। कीठम झील की पानी गुणवत्तापूर्ण एवं अति महत्वपूर्ण है। सर्दियों के दौरान यही पानी, हिमस्खलन की विस्तृत श्रृंखला का सहायक होती है। कीठम झील के आसपास बसे जलीय पक्षियों में से कुछ विशेष पक्षी के नाम निम्नलिखित है- लिटल ग्रिब्स, लार्ज एगरेट्स, इंडियन रीफ हेरोंन, व्हाइट इबिस, बार हेडेड गूज, कंब डक इत्यादि।

Published By
Anwesha Sarkar

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