लियोनिड्स उल्का वर्षा (19 November 2020)

लियोनिड्स उल्का वर्षा (19 November 2020)
लियोनिड्स उल्का वर्षा (19 November 2020)

लियोनिड्स नामक एक उल्का वर्षा, अंतरिक्ष में आतिशबाजी का खूबसूरत दृश्य के लिए जाना जाता है। हर साल यह अनूठा दृश्य नवंबर के मध्य में होता है। उसी तरह इस वर्ष भी 17 और 18 नवंबर को लियोनिड्स उल्का वर्षा भारतवर्ष के कई क्षेत्रों में दिखाई दिए हैं ।

उल्का को आम भाषा में हम लोग शूटिंग सितारे या टूटता हुआ तारा के नाम से जानते हैं। ऐसा लगता है मानो अंधेरे आकाश में प्रकाश की एक उज्जवल लकीर, यही उल्का बना रही हो। असल में, टूटा हुआ तारा बस एक अंतरिक्ष के चट्टान समान है जो गुरुत्वाकर्षण के कारण पृथ्वी की ओर आकर्षित होता है। वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिका के मिलर रेंज से इन उल्कापिंड का संग्रह किया है।

जब कोई उल्का धरती की ओर आकर्षित होता है तथा वायुमंडल के माध्यम से धरती पर आ गिरता है, तब उसे उल्कापिंड कहा जाता है। उल्का के वायुमंडल में प्रवेश करते ही यह उल्का घर्षण के कारण जलता है और आकाश में अचानक चमकीली रेखा का उत्सर्जन करता है।

उल्का वर्षा-
रात के मध्य में उल्का वर्षा की अत्यंत लुभावनी दृश्य देखी जा सकती है। खासकर जब बहुत अधिक उल्काएं होती है तब उल्का बौछार देखने की संभावना बढ़ जाती है। कुछ उल्का बौछार सालाना या नियमित अंतराल पर होती है क्योंकि पृथ्वी धूमकेतु द्वारा छोड़े हुए धूल के निशान से गुज़रती है। उल्का वर्षा आमतौर पर एक तारा या नक्षत्र के नाम पर होती है जिसके आकाश में उत्पन्न होने की वजह से उल्का दिखाई देती है।

उल्कापिंड का बाहरी रूप-
बाहर से एक उल्कापिंड पृथ्वी के चट्टानों के समान ही प्रतीत हो सकता है। परंतु आमतौर पर यह एक जला हुआ पत्थर होता है जोकि चमकदार दिखाई दे सकता है। चट्टान की ऊपरी सतह चमकदार प्रतीत हो सकती है क्योंकि यह वायुमंडल से गुजरते समय जल जाती है। पृथ्वी पर गिरने वाले ज्यादातर उल्कापिंड पथरीले प्रकार के होते हैं और कुछ लोहे से भरे हुए भी होते हैं।

लियोनिड्स उल्का वर्षा-
लियोनिड्स को उनके फायरबॉल और अर्थगैजर उल्काओं के लिए भी जाना जाता है। लियोनिड्स, प्रकाश और आग के अपने बड़े विस्फोटों के लिए भी जाने जाते हैं, यह आग के गोले या फायरबॉल के रूप में प्रसिद्ध हैं। अर्थगैजर उल्का यह हैं जो क्षितिज के करीब लकीर बनाते हैं और अपनी लंबी और रंगीन पूंछ के लिए जाने जाते हैं। लियोनिड्स एक ऐसी उल्का बौछार है जो हर 33 साल में होने वाले अपने शानदार उल्का तूफान के लिए जाना जाता है। लियोनिड्स नक्षत्र लिओ के मूल स्थान से अपना नाम प्राप्त करता है। लियोनिड्स कि उल्का वर्षा आमतौर पर मध्य नवंबर में देखा जा सकता है। हर साल लगभग 100 से 200 उल्काएं दिखाई देती है। वास्तव में हर साल कई टन उल्का पृथ्वी के वायुमंडल पर गिर जाता है पर पृथ्वी के सतह तक पहुंचते-पहुंचते वह सारे जल जाते हैं और केवल 100 या 200 उल्का ही उल्कापिंड बनकर धरती की सतह तक पहुंच पाते है।

लियोनिड्स की एक उल्का तूफान भी हर 33 साल में होती है। 1999 में इसी तूफान की वजह से कुछ हज़ार उल्का पिंड देखे गए थे। इस साल 17 एवं 18 नवंबर को पूरे देश भर में से महाकाश में घटित आतिशबाज़ी का अनूठा दृश्य देखा गया था । तमिलनाडु और केरल में बारिश के कारण उल्का वर्षा नहीं दिखाई दिए । परंतु महाराष्ट्र से अत्यंत अद्भुत उल्का वर्षा देखने को मिला हैं ।

इसी संदर्भ में एक असामान्य बात यही है कि यदि वायुमंडल में घर्षण के कारण उल्का ना जले, और बड़ी आयतन का उल्कापिंड धरती पर आ गिरे, तो धरती पर अन्य प्रकार की भू-आकृतियां बन सकती है। महाराष्ट्र में स्थित लोणार लेक भी ऐसी ही एक उल्कापिंड के गिरने से बनी थी।

अंततः उल्का वर्षा की एक मानवीय दृष्टिकोण भी है। माना जाता है कि गिरते हुई सितारे से जो मांगो, वही इच्छा पूर्ण होती है। यह भावना काफी लोकप्रिय है, परंतु इसकी कोई वैज्ञानिक व्याख्या नहीं पाई जाती है। मनुष्य ने प्रकृति के हर छोटे-बड़े आश्चर्य को कहानियों के माध्यम से बुना है। उल्का वृष्टि के साथ इच्छापूर्ति का यह संयोग भी वैज्ञानिक घटना का मानवीय रूपदान है। पूरे भारतवर्ष में दीवाली बडे ही धूमधाम से मनाई जाती है एवं इस साल दिवाली के तुरंत बाद अंतरिक्ष में आतिशबाजी का दृष्टांत भी हमारे समक्ष है।

Published By
Anwesha Sarkar


Related Current Affairs
Top Viewed Forts Stories